कभी टिन का पीपा बजाकर करते थे रियाज़, आज अपनी अनोखी कला के लिए मदन सिंह चौहान 'पद्मश्री' सम्मान से हुए सम्मानित,
इंसान की कला ही उसकी पहचान होती है लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने बरसों से छिपी कला को उजागर कर उन्हें एक नई पहचान दी है। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं छत्तीसगढ़ के रहने वाले प्रसिद्ध संगीतज्ञ मदन सिंह चौहान (Madan Singh Chouhan)। जिन्होंने अपनी संगीत की कला के बदौलत ‘गुरुजी’ की उपाधि प्राप्त की है। कभी टिन का पीपा बजाकर रियाज़ करने वाले मदन सिंह चौहान आज संगीत की दुनिया के प्रसिद्ध कलाकार हैं। मदन सिंह चौहान उर्फ गुरुजी प्रसिद्ध संगीत शिक्षक, गज़ल गायक और सूफी गायक हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन संगीत साधना के लिए समर्पित कर दिया है। यही कारण हैं कि कला के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान 'पद्मश्री' से सम्मानित किया है। छत्तीसगढ़ सहित भारत का नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध करने वाले संगीतज्ञ मदन सिंह चौहान के लिए संगीत की दुनिया में ख्याती प्राप्त करने का सफर इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरणादायी सफर।
प्रसिद्ध संगीतज्ञ बनने तक का सफर ऐसे किया तय,
15 अक्टूबर 1947 को छत्तीसगढ़ में जन्में मदन सिंह चौहान उर्फ गुरुजी एक सूफी गायक हैं। कभी टिन के पीपे को बजाकर रियाज़ करने वाले मदन पिछले कई सालों से कला की सेवा करते आ रहे हैं, और अब 74 साल की उम्र में उन्हें 'पद्मश्री' सम्मान मिला है। इसकी कसक उन्हें आज भी है। मदन चौहान कहते है कि उन्होंने सम्मान मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन देर आए दुरुस्त आए। मदन सिंह चौहान उर्फ गुरुजी ने अपने संगीतज्ञ बनने की शुरूआत बचपन में ढोलक बजाने से की थी। गुरुजी के नाम से पहचाने जाने वाले मदन सिंह चौहान का तबले में बचपन से रुझान रहा है। जिसके बाद उन्होंने तबला बजाने में अपने जीवन के 30 साल गुजारे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित कन्हैयालाल भट्ट से प्राप्त की है। उन्हीं के मार्गदर्शन में तबला बजाने में उनकी पकड़ मजबूत हुई है।
संगीत को समर्पित कर दिया पूरा जीवन,
मदन सिंह चौहान उर्फ गुरुजी कहते हैं कि सूफी संगीत की रूहानियत कभी कम नहीं हो सकती। इसलिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन संगीत के नाम कर दिया है। देश के कई मंचों पर वो अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। उनकी सूफी की धुन सुन हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। आज भी जब मदन सिंह चौहान मंच पर अपनी कला का जादू बिखेरते हैं तो हर कोई उनकी कला को देख कायल हो जाता है।
पद्मश्री सहित कई सम्मान से हो चुके हैं सम्मानित,
मदन सिंह चौहान उर्फ गुरुजी को उनकी अद्भुत कला के लिए भारत सरकार ने देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से नवाज़ा है। यही नहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी उनकी कला को देख उन्हें पुरस्कृत किया था। पद्मश्री सम्मान पाने वाले संगीतज्ञ मदन सिंह चौहान का कहना है कि काफी अरसे के बाद सम्मान मिला है। देरी हुई, लेकिन इसके लिए कुछ कहना नहीं चाहूँगा। सूफी में सब्र सीखने को मिलता है। देश के कई मंचों पर यह अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके मदन सिंह चौहान साल 2020 में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने वाले इकलौते छत्तीसगढ़ी हैं।
कला के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर चुके सुप्रसिद्ध सूफी गायक मदन सिंह चौहान आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। उन्होंने अपनी मेहनत और कला के प्रति अपने समर्पण के साथ अपनी सफलता की कहानी (Success Story) लिखी है।
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